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RBSE Board 12th Class Hindi Paper Solution | Class 12th Paper Solution – Hindi By Golu Classes

“RBSE बोर्ड 12वीं कक्षा का हिंदी पेपर समाधान – गोलू क्लासेज के द्वारा प्रस्तुत, छात्रों के लिए एक अद्वितीय संसाधन है जो उन्हें अपनी हिंदी परीक्षा में उत्कृष्टता हासिल करने में मदद करता है। इस लेख में, हम आपको गोलू क्लासेज द्वारा प्रदान किए गए RBSE 12वीं कक्षा के हिंदी पेपर के समाधान का विस्तार से वर्णन प्रदान करेंगे। 

गोलू क्लासेज की टीम ने विशेषज्ञ शिक्षकों के साथ मिलकर इस समाधान को तैयार किया है, जो सटीकता और पाठ्यक्रम के अनुरूपता को सुनिश्चित करता है। चाहे वह कविता की व्याख्या हो, गद्य खंड के प्रश्नों के उत्तर, या व्याकरण से संबंधित प्रश्न, यह समाधान सभी छात्रों को उनके हिंदी पेपर में आत्मविश्वास से परिपूर्ण करने में सहायता करेगा। 

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खंड – अ

प्रश्न 1. निम्नलिखित बहुचयनात्मक प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए –

1) अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो।” निम्नलिखित में से किस शासन पद्धति को लेखक ने आवश्यक बताया है –
अ) जीवन को
ब) लोकतंत्र को
स) व्यवहार को
द) परिवार को

2) निम्न में से किस पेड़ के फल इतने मजबूत होते हैं कि नए फूलों के निकल आने पर भी अपना स्थान नहीं छोड़ते हैं-
अ) शिरीष
ब) अशोक
स) अरिष्ट
द) पुन्नाग

3) ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ उपन्यास के लेखक हैं-
अ) कबीर
ब) फणीश्वर नाथ रेणु
स) धर्मवीर भारती
द) हजारी प्रसाद द्विवेदी

4) ‘खेत में पैदा होने वाले अन्न कुछ समय पश्चात समाप्त हो जाता है, किंतु निम्नलिखित में से जो रस कवि के अनुसार कभी चुकता नहीं है’ –
अ) भोज्य रस
ब) अनुभव रस
स) साहित्य रस
द) ओज रस

5) किस शायर की भाषा और प्रसंग सूरदास के वात्सल्य वर्णन की सादगी को याद दिलाते हैं-
अ) फिराक गोरखपुरी
ब) दुष्यंत कुमार
स) शमशेर बहादुर सिंह
द) कुंवर नारायण

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6) कवि गोस्वामी तुलसीदास के हृदय में निम्नलिखित में से किस समय करुण रस के बीच वीर रस के उदय के रूप की अनुभूति प्रदर्शित होती है-
अ) राम का वनवास जाना।
ब) कुंभकरण का बिलख पड़ना।
स) जगदंबा की लीला दिखाना।
द) हनुमान का संजीवनी लेकर आ जाना।

7) निम्नलिखित में से किस भाषा का सीमित, अविकसित तथा आम बोलचाल वाला रूप कहलाता है-
अ) भाषा
ब) लिखित भाषा
स) बोली
द) खड़ी बोली

8) ‘Vigilance’ शब्द का सही अर्थ है-
अ) संयुक्त
ब) शपथ
स) संविभाग
द) सतर्कता

9) मुद्रित माध्यमों में सबसे बड़ी शक्ति यह है कि छपे हुए शब्दों में निम्नलिखित गुण होता है-
अ) स्फूर्तता
ब) असुरक्षता
स) स्थायित्व
द) बाध्यता

10) रेडियो पत्रकारों को निम्नलिखित में से किसका पूरा ध्यान रखना होता है-
अ) अपने पाठकों का
ब) अपने श्रोताओं का
स) अपने दर्शकों का
द) अपनी शुरुआत का

11) निम्नलिखित में से जो आत्मकथात्मक उपन्यास गाथा निश्चय ही किशोर होते विद्यार्थियों के लिए हम कदम बन सकती है-
अ) जुलूस
ब) सिल्वर वैडिंग
स) अतीत में दबे पांव
द) जूझ

12) निम्नलिखित में से ‘दबे स्वर में किसने पूछा’, “मेंहमान गए?”
अ) बीवी बच्चों ने
ब) यशोधर बाबू की पत्नी ने
स) यशोधर बाबू ने
द) रिश्तेदार ने

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प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1) मौखिक भाषा को लिखित रूप के लिए लेखन चिन्हों का प्रयोग किया जाता है उसे ______ कहते हैं।  (लिपि) 

2) ‘दक्षता’ के लिए सही अंग्रेजी शब्द ______है। (Efficiency)

3) ‘नक्षत्र’ हवा से बातें कर रहा है। वाक्य में _____ शब्द शक्ति है। (लक्षणा)

4) जब शब्दार्थ की व्यंजना अर्थ पर निर्भर होती है। उसका पर्याय रख देने पर अभीष्ट की पूर्ति हो जाती है, वहां ______ शब्द शक्ति होती है। (आर्थी व्यंजना)

5) जहां वास्तविक विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास हो, वहां ________ अलंकार होता है। (विरोधाभास)

6) ‘भगवान भागें दु:ख जनता देश की फूले-फले है।’ इस पंक्ति में निहित _______ अलंकार है। (अनुप्रास) 

प्रश्न 3. निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ कर दिए गए सभी प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए –

व्यक्ति को अपने जीवन में नाना प्रकार के लक्ष्य निर्धारित करने की अपेक्षा किसी एक उत्तम लक्ष्य को ही निश्चित करना चाहिए। जो व्यक्ति कहीं उद्देश्यों की पूर्ति का ख्वाब छोड़कर अर्जुन की तरह एक ही लक्ष्य को चिड़िया की आंख मानकर उसे पर अपना सारा ध्यान केंद्रित करता है, निश्चय ही सफलता उसके चरणों को चूमती है। एक ही साथ दो घोड़ों पर सवार होने वाले का फिसलकर नीचे गिरना निश्चित है। किसी पेड़ के तने, डालियों, पत्तों कुत्तों फूलों की अलग-अलग सेवा करने वाले फलों से वंचित ही रहना पड़ेगा जबकि वह यदि मूल (जड़) को ही सींचे तो उसे फल की प्राप्ति होनी ही है। अत: व्यक्ति को एक ही उद्देश्य की प्राप्ति हेतु प्रयत्न करना चाहिए।

1) व्यक्ति को अपने जीवन में सफल होने के लिए क्या निश्चित करना चाहिए? (एक लक्ष्य या एक उद्देश्य)

2) ‘नयन’ शब्द का पर्यायवाची शब्द गद्यांश में से छांटकर लिखिए। (आंख)

3) फल की प्राप्ति किसको सींचने से होती है। (मूल / जड़)

4) इस गद्यांश में छांटकर ‘उपेक्षा’ शब्द का विपरीतार्थ लिखिए। (अपेक्षा)

5) ‘चिड़िया की आंख’ में निहित प्रतीकात्मक अर्थ को लिखिए। (मन में एक ही लक्ष्य या एक ही उद्देश्य होना चाहिए)

6) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए। (एक उद्देश्य, एक लक्ष्य, लक्ष्यों का महत्व, जीवन का एक उद्देश्य, उत्तम लक्ष्य)

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प्रश्न 4. निम्नलिखित अपठित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सभी प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए

अपने नहीं अभाव मीठा पाया जीवन भर,
पर औरों के सभी अभाव मिटा सकता हूं।
तूफानों – भूचालों की भयप्रद छाया में,
मैं ही एक अकेला हूं जो गा सकता हूं।
मेरे ‘मैं’ की संज्ञा में इतनी व्यापक है,
इसमें मुझसे अगणित प्राणी आ जाते हैं।
मुझको अपने पर अदम्य विश्वास रहा है।
मैं खण्डहर को फिर से महल बना सकता हूं।
जब-जब भी मैंने खंडहर आबाद किए हैं,
प्रलय-मेघ भूचाल देख मुझकों शरमाए।
मैं मजदूर मुझे देवों की बस्ती से क्या
अगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाए।

1) कवि ने किसके अभाव मिटाने की बात कही है?
(सभी के अभावो को मिटाने की बात कही है या दूसरे लोगों के जीवन की सहायता या दूसरों के दुखों की सहायता करने की बात कही है।)

2) जीवन में कवि ने खंडहर से महल बनाने हेतु किसकी आवश्यकता पर बल दिया है?
(अदम्य विश्वास)

3) अदम्य व्यक्ति को देखकर कौन-कौन शर्माते हैं?
(प्रलय-मेघ भूचाल देख मुझको शर्माए)

4) जीवन में सुधार हेतु किसका महत्व अधिक बताया है?
(अदम्य साहसो पर आगे बढ़ते रहिए और आगे बढ़कर अपने जीवन का एक लक्ष्य बना लेना चाहिए।)

5) कवि ने अपने आप को क्या मानकर धरती पर स्वर्ग बनाने की बात कही है?
(मजदूर मानकर)

6) ‘बादल’ का पर्याय पद्यांश से छांट कर लिखिए|
(मेघ)

खंड – ब

निम्नलिखित लघुत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए –

प्रश्न 5. पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं, प्रकार लिखते हुए उनकी परिभाषा दीजिए।
उत्तर – पत्रकारिता तीन प्रकार की होती है|
1. पूर्णकालिक पत्रकार – जो किसी संस्थान के स्थायी कर्मचारी होते हैं|
2. अंशकालिक पत्रकार – जो समय-समय पर काम करते हैं|
3. फ्रीलांसर पत्रकार – जो स्वतंत्र रूप से किसी भी संस्थान के लिए काम करते हैं।

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प्रश्न 6. लेखक ने महामारी की रात्रि में विभीषका को ललकार कर चुनौती देने वाली शक्ति को ढोलक के माध्यम से किस प्रकार वर्णित किया है?
उत्तर – लेखक ने महामारी की रात्रि में ढोलक के माध्यम से विभीषका को ललकार कर चुनौती देने वाली शक्ति का वर्णन किया है। ढोलक की थाप ने न केवल साहस और उम्मीद का संचार किया, बल्कि समुदाय को एकजुटता और प्रतिरोध की भावना से भी भर दिया।

प्रश्न 7. ‘बादल राग’ कविता में क्रांति आकांक्षी वंचितों के प्रतिनिधित्व की अनुगूंज को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘बादल राग’ कविता में क्रांति आकांक्षी वंचितों की अनुगूंज उनके संघर्ष और आशाओं के माध्यम से स्पष्ट होती है। कवि ने बादलों की गर्जना के माध्यम से वंचितों की क्रांति की भावना और उनके समान अधिकारों की ललक को व्यक्त किया है।

प्रश्न 8. सिंधु सभ्यता में आकर की भव्यता के स्थान पर कला की भव्यता दिखाई देती है। पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर – सिंधु सभ्यता में आकार की भव्यता के बजाय, कला की सूक्ष्मता और भव्यता का प्रमाण मिलता है। यहाँ के निवासी विशाल इमारतों या मूर्तियों की रचना के बजाय, मुहरों, मृतिका निर्मित खिलौने, सोने-चांदी के आभूषण, और कांस्य की कलाकृतियों जैसे छोटे, लेकिन सूक्ष्मता से निर्मित कला कार्यों में अपनी कलात्मकता का परिचय देते हैं। इन कलाकृतियों में जीवन की विविधता, प्रकृति, और समाज की जीवंतता का सजीव चित्रण होता है, जो सिंधु सभ्यता की समृद्धि और कलात्मक सूझ-बूझ को दर्शाता है।

प्रश्न 9. ‘जूझ’ कहानी के लेखक के अनुसार दादा के जीवन शैली की दिनचर्या के बारे में लिखिए|
उत्तर – ‘जूझ’ कहानी में दादा की जीवनशैली और दिनचर्या का वर्णन एक साधारण और अनुशासित जीवन के रूप में किया गया है। दादा प्रतिदिन सुबह जल्दी उठते थे, अपनी पूजा-पाठ में समय व्यतीत करते थे, और उसके बाद खेती या अन्य दैनिक कार्यों में व्यस्त रहते थे। वे संयमित जीवन शैली के पक्षधर थे और अपने कार्यों में कठोर परिश्रम और निष्ठा का पालन करते थे। दादा की यह दिनचर्या उनके चरित्र की दृढ़ता और जीवन के प्रति उनके समर्पित दृष्टिकोण को प्रकट करती है। उनका जीवन संघर्षों से भरा था, परंतु उनकी अदम्य इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत ने उन्हें जीवन की जूझ से लड़ने की प्रेरणा दी।

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खंड – स

प्रश्न संख्या 10 से 13 के उत्तर 60 से 80 शब्दों में लिखिए एवं 14 व 15 के उत्तर लगभग 100 शब्दों में लिखिए –

प्रश्न 10. ‘नील जल में या किसी की गौर झिलमिल देह जैसी हिल रही हो’। उषा कविता के आधार पर इस पंक्ति को स्पष्ट कीजिए।

अथवा

‘किसी की पीड़ा को बहुत बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंचाने वाले व्यक्ति उस पीड़ा के प्रति स्वयं संवेदनशील हो जाते हैं।’ इस कथन में प्रकट वर्तमान युग की विडंबना को कविता के संदर्भ में समझाइये।

उत्तर – ‘उषा’ कविता में वर्णित इस पंक्ति के माध्यम से कवि भोर के समय की अद्भुत सुंदरता और विलक्षणता का चित्रण करता है। “नील जल में या किसी की गौर झिलमिल देह जैसी हिल रही हो” पंक्ति से, कवि प्रकृति के नायाब दृश्य को व्यक्त करता है, जहां उषा काल की पहली किरणें जल की सतह पर पड़ती हैं, तो वह नीले जल को झिलमिलाती गौरवर्णी देह की भांति दर्शाती हैं। यहाँ कवि भोर के नाजुक, शीतल और सौंदर्यपूर्ण पलों को मानवीकृत करते हुए प्रकृति के साथ एक गहरे सामंजस्य की कल्पना करता है। इस पंक्ति के माध्यम से कवि प्रकृति के सौंदर्य के प्रति अपनी गहरी अनुभूति और आकर्षण को प्रकट करता है, साथ ही साथ यह दर्शाता है कि कैसे प्रकृति के ये खास क्षण हमें अपनी विलक्षणता से मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

उत्तर – वर्तमान युग में, कविताओं में विडंबना एवं संवेदना का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। कविता में किसी भी पीड़ा को उजागर करने वाले कवियों की स्थिति में विकास आ रहा है। ऐसे कवि जो समाज की समस्याओं को उजागर करते हैं, स्वयं भी उन पीड़ाओं को संवेदनशीलता से देखते हैं और इन्हें अपने शब्दों में रूपांतरित करते हैं। इस प्रकार, कविताएँ विभिन्न विषयों पर विचार करने के लिए उत्तेजित करती हैं, जिससे सामाजिक परिवर्तन की दिशा में साक्षात्कार होता है।

प्रश्न 11. “हम इन्हें पानी नहीं देंगे तो इंद्र भगवान हमें पानी कैसे देंगे?” लेखक के इस कथन के आधार पर हमारे सांस्कृतिक विश्वास के समर्थन में अपने विचार स्पष्ट कीजिए।

अथवा

‘माल बिछा रहता है, और उसका मन अडिग रहता है।” इस कथन के आधार पर लेखक के बाजारवाद की भावना को लिखिए।

उत्तर – यह कथन हमारे सांस्कृतिक विश्वास को स्पष्ट करता है कि हमारे अन्नदाता और प्राकृतिक संसाधनों के देवता हमारे अनुकूलता के प्रति उत्तरदायी हैं। यह आदिकाल से हमारे सांस्कृतिक धारा में निहित है कि हम प्रकृति की संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग लें और उसे समर्पितता से प्रयोग करें। इस प्रकार, हमारे सांस्कृतिक विश्वास में, प्रकृति के देवताओं के साथ सहयोग की मान्यता है जो हमें अपनी अन्नदाता के रूप में पानी, जल, और अन्य संसाधन प्रदान करते हैं।

उत्तर – यह कथन लेखक के बाजारवाद की भावना को प्रकट करता है, जहां माल की मूल्य निर्धारण केवल उसकी कीमत पर निर्भर करती है। इस भावना में व्यक्त होता है कि बाजारवाद के तहत वस्त्र, सामग्री, या सेवाओं को केवल उनके मूल्य के रूप में माना जाता है, और उनके साथ संबंधित भावनाओं और अभिप्रायों को नजरअंदाज किया जाता है। इस प्रकार, लेखक बाजारवाद की उस दृढ़ता और अद्भुतता को चित्रित करते हैं, जो व्यापारिक लोगों की मानसिकता में प्रमुख होती है।

प्रश्न 12. “मिक्चर मत पिलाइए गुरुदेव। चाय-मट्टी-लड्डू बस इतना ही सौदा है।” इस कथन के आधार पर कहानी के पात्र यशोधर बाबू की भीतरी मन की सहानुभूति के सम्बन्ध में नई पीढ़ी के संदेश को लिखिए।

अथवा

‘भैंस चराते-चराते मैं फसलों पर, जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा।’ कविता रच लेने के आत्मविश्वास को लेखक की धारणा के आधार पर लिखिए।

उत्तर – “मिक्चर मत पिलाइए गुरुदेव। चाय-मट्टी-लड्डू बस इतना ही सौदा है।” यह कथन यशोधर बाबू की आत्मकथा “मेरे खोते में” से लिया गया है, जिसमें उनकी साहित्यिक यात्रा का वर्णन है। यह कथन उनकी सहानुभूति को व्यक्त करता है, जो उन्हें अपने अस्तित्व के लिए आत्म-समर्पण की आवश्यकता को समझाता है। नई पीढ़ी के लिए संदेश यह है कि सफलता के लिए साहित्यिक यात्रा में आत्म-निर्भरता और निष्ठा की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह उन्हें सीखते है कि जीवन में सफलता पाने के लिए अध्ययन और आत्म-विश्वास की आवश्यकता होती है।

उत्तर – कविता रचना में स्वयं को समर्पित करने का विश्वास उत्कृष्ट कलाकार की पहचान होती है। “भैंस चराते-चराते मैं फसलों पर, जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा” यह पंक्ति लेखक की आत्मविश्वास और कला के प्रति अभिमान को प्रकट करती है। यह उनका संघर्ष और साहित्यिक यात्रा का प्रतीक है, जिसमें वे अपनी कला को समझने और समर्पित करने की क्षमता विकसित करते हैं। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक अपने संघर्षों और संघर्षों के साथ अपनी कला के प्रति अपने विश्वास को प्रकट करते हैं, जो उन्हें कविता रचना के क्षेत्र में अग्रणी बनाता है।

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प्रश्न 13. मोहनजोदड़ो ताम्र काल के शहरों में सबसे बड़ा है।” इस कथन में सभ्यता और संस्कृति में वर्तमान धड़कती जिंदगियों के प्रति पुरातात्विक जानकारी को पाठ के आधार पर लिखिए।

अथवा

‘आधुनिक किस्म के अजनबी लोगों की भीड़ को देखकर यशोधर बाबू अंधेरे में ही दुबके रहे।’ वर्तमान में आए परिवर्तन से हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्यों की मूल संवेदना के कहानी के आधार पर लिखिए।

उत्तर – “मोहनजोदड़ो ताम्र काल के शहरों में सबसे बड़ा है” यह कथन पुरातात्विक जानकारी का प्रमुख स्रोत है, जो हमें वर्तमान धड़कती जिंदगियों के प्रति सभ्यता और संस्कृति के प्राचीनतम पहलुओं को समझने में मदद करता है। यह हमें दिखाता है कि समाज किस प्रकार उन्नति की ओर बढ़ रहा है, और कैसे अनुसंधान के द्वारा हम प्राचीन समय की जीवनशैली, विचारधारा, और सामाजिक प्रणालियों को समझते हैं। इस रूप में, पुरातात्विक जानकारी हमें वर्तमान समाज की उत्थान और पतन की प्रक्रिया को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

उत्तर – “आधुनिक किस्म के अजनबी लोगों की भीड़ को देखकर यशोधर बाबू अंधेरे में ही दुबके रहे।” यह कथन वर्तमान में आए परिवर्तन से हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्यों की मूल संवेदना को दर्शाता है। वर्तमान में तकनीकी प्रगति और व्यापारीकरण के चलते, लोगों के बीच सामाजिक और आधारभूत संबंधों में उदासीनता और अलगाव बढ़ रहा है। यह कथन हमें यह बताता है कि हालातों में दूरी और असमंजस में, मानवीय संवेदना की कमी हो सकती है और लोग अपने मूल्यों को भूल जाते हैं। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें समाज में समाजिक समरसता और संबंधों की रखनी आवश्यक है।

प्रश्न 14. संपादकीय लेखन में दायित्व किस पर निर्भर होता है? कोई एक उदाहरण लिखिए।

अथवा

विशेष लेखन के क्षेत्र खेलों के बारे में पत्र-पत्रिका में लिखने वाले किन-किन बातों की जानकारी होनी चाहिए, विस्तारपूर्वक समझाइए।

उत्तर – संपादकीय लेखन में दायित्व संपादक पर निर्भर होता है। संपादक का कार्य होता है लेखकों के लिखे गए लेखों को समीक्षित करना, उन्हें संपादित करना, और अंततः प्रकाशित करना। संपादक की योग्यता, विद्या, और नैतिक दायित्व संपादकीय नीतियों के प्रति निर्भर करता है। उदाहरण के रूप में, एक संपादक को एक लेख में प्रकट होने वाली भावनाओं की अच्छी समझ होनी चाहिए ताकि वह उसे सामाजिक मानदंडों के अनुसार संपादित कर सके। उसकी योग्यता और निष्ठा से ही लेखकों की आत्मा को स्पष्टता से प्रकट किया जा सकता है।

उत्तर – खेलों के बारे में पत्र-पत्रिका में लेखन करने वाले को खेल के विभिन्न पहलुओं, उनके प्रभाव, नई तकनीकों और रणनीतियों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। वे खेल के आयोजन, इतिहास, नियम, खिलाड़ियों के प्रदर्शन, और महत्वपूर्ण खेल समाचार पर लेखन कर सकते हैं। उन्हें खेल की रणनीतियों, प्रशिक्षण के तरीकों, और खिलाड़ियों के उत्पन्नता पर विचार करने की क्षमता होनी चाहिए। इसके अलावा, उन्हें खेल में राजनीतिक, सामाजिक, और मनोवैज्ञानिक मुद्दों पर भी लेखन करने की क्षमता होनी चाहिए। एक अच्छे खेल लेखक को खेल की विशेषताओं, महत्व, और उसके सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव को व्यापक रूप से समझने की क्षमता होनी चाहिए।

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प्रश्न 15. ‘आलोक धन्वा’ की कवि परिचय लिखिए।

अथवा

फणीश्वर नाथ रेणु का लेखक परिचय लिखिए।

उत्तर – आलोक धन्वा भारतीय कवि और लेखक हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य के कई अनुभवशाली काव्य संग्रहों का सम्पादन किया है। उनकी कविताएं गंभीर और सामाजिक मुद्दों पर आधारित होती हैं, जो विचारशीलता और साहित्यिक स्वतंत्रता के प्रति उनकी दृष्टि को दर्शाती हैं। उनका काव्य प्रयास भारतीय समाज की समस्याओं, संघर्षों और अन्याय को उजागर करता है। उनकी रचनाएँ साहित्य के विभिन्न क्षेत्रों में प्रकाशित हो चुकी हैं और उन्होंने कई पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं। उनके काव्य में साहित्यिक और सामाजिक सच्चाई का उत्कृष्ट प्रतिबिम्ब है।

उत्तर – फणीश्वर नाथ रेणु भारतीय साहित्य के प्रमुख लेखक हैं। उनका जन्म १९२१ में हुआ था। उन्होंने हिंदी साहित्य के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी श्रेष्ठ रचनाओं से महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी कहानियाँ, उपन्यास, नाटक, और गद्य कविताएँ सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर आधारित हैं। उनकी रचनाएँ व्यक्तिगत अनुभवों और समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। ‘मैला आँचल’, ‘पच्चीस और अन्य कहानियाँ’, ‘इस तीर्थ को तेरा नाम किया’, ‘रंगबज’, ‘काफ़न’, आदि उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। उन्हें साहित्य और समाज के क्षेत्र में उन्नति का सदैव लगाव रहा है।  
फणीश्वर नाथ रेणु भारतीय साहित्य के महान कवि और लेखक हैं। उनकी रचनाएँ उत्तर भारतीय समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त करती हैं। उनकी कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास और नाटकों में साहित्यिक गहनता और गहराई उपस्थित है। उनके लेखन में सामाजिक न्याय, मानवता, और मानवीय भावनाओं को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। उनकी प्रमुख रचनाएँ में ‘मैला आँचल’, ‘इंद्रधनुष’, और ‘मेरे सपनों का भारत’ शामिल हैं। उन्होंने अपने लेखन से भारतीय साहित्य को गहराई और विशालता प्रदान की है। उन्हें साहित्य रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया है।

खंड – द

प्रश्न 16. निम्नलिखित पद्यांश की सप्रंसग व्याख्या लिखिए –

मैं जला हृदय में अग्नि, दहा करता हूं,
सुख-दु:ख दोनों में मगन रहा करता हूं,
जग भव-सागर तरने को नाव बनाए,
मैं भव मौजों पर मस्त बहा करता हूं!
मैं यौवन का उन्माद लिए फिरता हूं,
उन्मादों में अवसाद लिए फिरता हूं,
जो मुझको बार हंसा, रुलाती भीतर,
मैं, हाय, किसी की याद लिए फिरता हूं!

अथवा

ऊपर से ठीक-ठाक
पर अंदर से
न तो उसमें कसाव था
न ताकत!
बात नें, जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी
मुझे पसीना पोंछतें देखकर पूछा –
“क्या तुमने भाषा को
सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा?”

उत्तर –  यह पद्यांश एक व्यक्ति के भावनात्मक संवेदना को व्यक्त करता है, जो जीवन के साथी हैं। यह कविता उसकी आत्मा की अद्वितीयता और संघर्ष को व्यक्त करती है। वे अपने आत्मा के संघर्ष का वर्णन करते हैं, जो उन्हें जीवन के समुद्र में एक नाव की भाँति तैरते हुए दिखाता है। वे सुख और दुःख के मेले में भव-सागर को तरने के लिए तैयार हैं। उनके जीवन के अनुभवों की अभिव्यक्ति संगीतमय भाषा में होती है, जो पठनकर्ता को उनके आत्मीय संघर्षों को समझने के लिए प्रेरित करती है

उत्तर –  यह पद्यांश व्यक्ति के भाषा कौशल की महत्वपूर्णता पर ध्यान केंद्रित करता है। यह एक अनुभव को व्यक्त करता है जब कोई व्यक्ति बाहर से ठीक-ठाक दिखता है, लेकिन अंदर से कमजोर होता है। यह एक अन्याय की व्याख्या करता है, जिसमें भाषा का सही उपयोग नहीं होता है और यह व्यक्ति को अपने भावों और विचारों को सही ढंग से व्यक्त करने में असमर्थ बना देता है। इस पद्यांश में उत्तेजना और विचारशीलता का संगम है, जो पाठक को सोचने और संवेदनशीलता के माध्यम से विचार करने के लिए प्रेरित करता है।

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प्रश्न 17. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या लिखिए-

यह मैंने भक्तिन के प्रस्ताव को अवकाश न देने के लिए कहा था; पर उसके परिणामों ने मुझे विस्मित कर दिया भक्तिन परम रहस्य का उद्घाटन करने की मुद्रा बनाकर और पोपला मुंह मेरे कान के पास लाकर हौले-हौले बताया कि उसके पास पांच बीसी और पांच रुपया गड़ा रखा है। उसी से वह सब प्रबंध कर लेगी। फिर लड़ाई तो कुछ अमरौती खाकर आई नहीं हैं। जब सब ठीक हो जाएगा, तब यही लौट कर आएंगे। भक्तिन की कंजूसी के प्राण पूंजीभूत होते-होते पर्वताकार बन चुके थे; परंतु इस उदारता के डायनामाइट के क्षण भर में उन्हें उड़ा दिया।

अथवा

पर एक बात देखी है कि अगर 30-40 मन गेहूं उगाना है तो किस 5-6 सेर अच्छा गेहूं अपने पास लेकर जमीन की में क्यारियां बनाकर फेंक देता है। उसे बुवाई कहते हैं। यह जो सूखे हम अपने घर का पानी इन पर फेकतें हैं वह ही बुवाई है। यह पानी गली में बोएंगे तो सारे शहर, कस्बा, गांव पर पानी वाले बादलों की फसल आ जायेगी। हम बीज बनाकर पानी देते हैं फिर काले मेघा से पानी मांगते हैं। सब ऋषि-मुनि कह गए हैं कि पहले खुद दो तब देवता तुम्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाएंगे भइया, यह तो हर आदमी का आचरण है, जिसका सबका आचरण बनता है।

उत्तर – इस गद्यांश में, एक व्यक्ति ने भक्तिन को उदारता के साथ स्वीकारने से इनकार किया था। लेकिन, भक्तिन ने अपनी कुशलता से उसे प्रभावित किया। भक्तिन की धीरज और संघर्ष उसे सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाती है। इस गद्यांश में, साहित्यिक उपक्रम और कल्पना की शक्ति के माध्यम से, लेखक ने भक्तिन के उदार मन का उद्घाटन किया है जो अंत में उसे विजयी बनाता है। इससे पाठक को उसकी धैर्य, संघर्ष, और समर्थन की महत्वपूर्णता का अनुभव होता है।

उत्तर – इस गद्यांश में, लेखक ने एक गहन सत्य को उजागर किया है – खुद को संवारने की आवश्यकता है और फिर ही हम अपने लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं। यहाँ, बुवाई की मेटाफोरिक प्रस्तुति के माध्यम से, लेखक ने अपने विचारों को प्रस्तुत किया है कि हमें स्वयं परिश्रम करने और खुद को संवारने की आवश्यकता है। बुवाई के समर्थन से, हमें यह याद दिलाया जाता है कि अगर हम खुद को संवारते हैं और अपने कार्यों को सफलता के लिए उचित तरीके से प्रदर्शित करते हैं, तो हमारे जीवन में सफलता की बरसात होती है। इसके अलावा, यह भी उजागर होता है कि आदमी के आचरण उसकी पहचान को निर्धारित करता है और उसके लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करता है।

प्रश्न 18. कर्मचारी चयन बोर्ड, दिल्ली में विभिन्न पदों पर आवेदन आमंत्रित करने हेतु समाचार पत्र में प्रकाशनार्थ निर्धारित प्रारुप में एक विज्ञप्ति लिखिए।

अथवा

अबस विद्यालय रामपुर में इस स्काउंटिंग प्रवृत्ति विकसित करने हेतु आवश्यक सामग्री क्रय करने हेतु ‘निविदा’ लिखिए।

उत्तर –
कर्मचारी चयन बोर्ड, दिल्ली

विज्ञप्ति

विभिन्न पदों पर आवेदन आमंत्रित

कर्मचारी चयन बोर्ड, दिल्ली के अंतर्गत विभिन्न पदों पर आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं। इच्छुक उम्मीदवार आवेदन पत्र भरकर सहायता कार्यालय, कर्मचारी चयन बोर्ड, दिल्ली को भेज सकते हैं। आवश्यकता अनुसार जानकारी के लिए वेबसाइट www.delhi.gov.in पर जांच करें। अंतिम तिथि: [अंतिम तारीख]

संपर्क:
कर्मचारी चयन बोर्ड, दिल्ली
सहायता कार्यालय, [पता]
फोन: [फोन नंबर]
ईमेल: [ईमेल पता]

उत्तर –

निविदा

दिनांक: [दिन/माह/वर्ष]

विशेषज्ञ,
अबस विद्यालय,
रामपुर

सविनय निवेदन सहित,

सम्माननीय संगठन,

संदेश: क्रय प्रक्रिया के अंतर्गत, हम अबस विद्यालय में स्काउटिंग प्रवृत्ति को विकसित करने हेतु आवश्यक सामग्री क्रय करने की निविदा दे रहे हैं। आवश्यक सामग्री और उसकी संख्या निम्नलिखित हैं:

1. टेंट: 10
2. स्लीपिंग बैग: 20
3. जूते: 30 पेयर
4. बैटन: 15
5. रोप: 500 मीटर

आप से निवेदन है कि आप अपनी कीमतें और आवश्यक सामग्री की विस्तारपूर्ण सूची के साथ हमें भेजें।

कृपया अंतिम तारीख [अंतिम तिथि] तक आवेदन भेजें।

धन्यवाद,

[आपका नाम]
[पद/प्रतिष्ठान]
[संपर्क जानकारी]

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प्रश्न 19. निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर सारगर्भित निबंध लिखिए। (शब्द सीमा 300 शब्द)

1. मेक इन इंडिया अभियान
उत्तर – मेक इन इंडिया अभियान

“मेक इन इंडिया” एक ऐसा अभियान है जो भारतीय अर्थव्यवस्था को स्वावलंबी बनाने का उद्देश्य रखता है। इस अभियान की शुरुआत 25 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में उद्यमिता और उत्पादन को बढ़ावा देना है।

“मेक इन इंडिया” के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की जा रही है, जैसे कि उद्योग, कृषि, उद्योगों में तकनीकी नवाचार, बुनियादी ढांचे, बाजार संवर्धन, और बेरोजगारी का संकट समाधान। इसका मुख्य लक्ष्य भारत की अर्थव्यवस्था को स्वावलंबी बनाने में सहायक बनना है।

इस अभियान के तहत, सरकार ने उद्योगों को उत्पादन के लिए विभिन्न आधुनिक तकनीकों के लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया है। विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत उद्यमियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है ताकि वे नई विचारों को आगे बढ़ा सकें।

“मेक इन इंडिया” के तहत, भारतीय उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई नई पहलें शुरू की हैं। इसमें उद्योगों को लागत कम करने, अधिक से अधिक निवेश आकर्षित करने और नौकरियों की स्थापना में मदद करने के लिए सहायता शामिल है।

“मेक इन इंडिया” एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर कर रहा है। इसके माध्यम से, हम एक सशक्त और समृद्ध भारत की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं, जो आने वाले समय में हमारे देश को

विश्वासनीय रूप से बढ़ावा देगा।



2. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं
उत्तर –
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ: एक समाज के लिए महत्वपूर्ण कदम

भारतीय समाज में लड़कियों को लागू बीचारा, भेदभाव, और उनके नाम और सम्मान की कमी के दौर से गुजरना पड़ा है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान इसी महत्वपूर्ण मुद्दे को संजोकर उसके समाधान की दिशा में कदम बढ़ाता है।

बेटियों को जीवन में समानता, शिक्षा, और स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के जरिए, समाज को उनके लिए समान अवसर प्रदान करने का एक उचित माध्यम प्राप्त होता है।

पहले, बेटियों के जन्म पर सामाजिक और पारंपरिक प्रतिकूलताओं को खत्म किया जाना चाहिए। बेटियों के लिए उपहारों की बजाय उन्हें अपने सपनों की पूर्ति के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, बेटियों के शैक्षिक परिसंपत्ति और स्वतंत्रता को बढ़ावा देना चाहिए। उन्हें उच्चतर शिक्षा का मौका मिलना चाहिए, जिससे उनकी स्वावलंबना और आत्मनिर्भरता में मदद मिले।

बेटियों की शिक्षा को महत्वपूर्ण मानकर, सरकार ने बेटियों के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं। उनमें शिक्षा के लिए मुफ्त या अधिक सब्सिडीज़ योजनाएं, स्कॉलरशिप्स, और अन्य लाभ शामिल हैं। इसके अलावा, समाज में जागरूकता और जागरूकता के साथ, बेटियों को शिक्षित करने और उन्हें समाज का सहारा देने की आवश्यकता है।

बेटियों के शिक्षित होने से समाज को अनगिनत लाभ होते हैं। बेटियों की शिक्षा समाज को सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार, परिवार की आर्थिक सहायता, और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है।

इस प्रकार, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान एक महत्वपूर्ण कदम है

जो समाज को एक बेहतर और उत्तम भविष्य की दिशा में अग्रसर करने में मदद करता है। यह न केवल बेटियों के भविष्य को उजागर करता है, बल्कि समाज के विकास को भी तेजी से गति प्रदान करता है।



3. विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की महत्ता
उत्तर –
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की महत्ता

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन एक महत्वपूर्ण गुण है जो सफलता के मार्ग पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनुशासन के बिना विद्यार्थी अपने लक्ष्यों को हासिल करने में कठिनाई का सामना करता है।

अनुशासन का मतलब है अपने जीवन में नियमों का पालन करना। यह विद्यार्थी को अपने समय का सही तरीके से प्रबंधन करने की शक्ति प्रदान करता है। अनुशासन से ही विद्यार्थी अपनी शैक्षिक गतिविधियों में संयमित रहता है और समय का सदुपयोग करता है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व उत्कृष्ट शैक्षिक प्रदर्शन के लिए भी है। एक अनुशासित विद्यार्थी अपने अध्ययन के प्रति संबद्ध रहता है और पाठ्यक्रम को समय सारथी पूरा करता है। वह पाठ्यक्रम के सम्पूर्ण पाठों को समय पर समझता है और अच्छे अंक प्राप्त करता है।

अनुशासन विद्यार्थी को अच्छे व्यक्तित्व का धनी बनाता है। यह उसकी शिक्षा और संस्कार का महत्वपूर्ण अंग है जो उसे समाज में सम्मानीय बनाता है।

अनुशासन का अभ्यास विद्यार्थी के लिए उसकी करियर में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सफलता के लिए अनुशासन एक आवश्यक गुण है जो उसे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करता है।

समाप्ति के रूप में, विद्यार्थी जीवन में अनुशासन एक महत्वपूर्ण गुण है जो उसे अपने लक्ष्यों को हासिल करने में सहायक होता है। यह उसके अध्ययन, करियर और व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक है। अतः, अनुशासन को जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है और यह विद्यार्थी की सफलता के मार्ग को सुगम और समृद्ध बनाता है।



4. पर्वतीय क्षेत्र की मेरी यात्रा
उत्तर –
पर्वतीय क्षेत्र की मेरी यात्रा

पर्वतीय क्षेत्र अपनी सुंदरता, वन्यजीव और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं। हाल ही में, मैंने एक यात्रा के दौरान एक पर्वतीय क्षेत्र का अनुभव किया।

मेरी यात्रा एक सुंदर पहाड़ी क्षेत्र में शुरू हुई, जिसमें हरी-भरी पहाड़ियों, घने वनों, ताजगी भरी हवाओं और शांतिपूर्ण झीलों की विशाल स्वरूप थी। मैंने यहाँ एक प्राकृतिक अनुभव का लाभ उठाया और पर्वतीय संस्कृति को समझा।

हमने उच्च स्थानीय स्थलों की यात्रा की, जहाँ से हमने ब्रीज, घाटियाँ और छायांकित वनों का आनंद लिया। प्राकृतिक सौंदर्य ने हमें मंत्रमुग्ध किया और हम चारों ओर के पहाड़ों की अद्भुतता का आनंद लिया।

हमने वन्यजीव भी देखे, जिनमें बाघ, हाथी, लोमड़ी और प्रवाल शामिल थे। वे नजर आए और हमें उनकी सुंदरता और संरक्षण की आवश्यकता का अनुभव कराया।

हमने शांतिपूर्ण झीलों का भ्रमण भी किया, जो स्थानीय जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। यहाँ के जलचर प्राणियों को देखकर हमें प्राकृतिक संतुलन की महत्ता का अनुभव हुआ।

इस यात्रा से, मैंने पर्वतीय क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीव की अमूल्य

विरासत का आनंद लिया। मुझे इस यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों की रिझाना, उनकी संगीतमय भाषा, और स्थानीय संस्कृति का अध्ययन करने का भी अवसर मिला।

यह यात्रा मेरे जीवन का एक अद्वितीय अनुभव था जिसने मुझे पर्वतीय क्षेत्र की अमूल्यता और सुंदरता का महत्व सिखाया। इससे मुझे प्राकृतिक संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण की महत्ता का भी अनुभव हुआ। अतः, पर्वतीय क्षेत्र की यह यात्रा मेरे जीवन में एक अनमोल अनुभव के रूप में अमर रहेगी।

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