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सिख धर्म के 10 गुरु कौन कौन थे और सिखों का इतिहास क्या है?

सिखों के 10 गुरू कौन कौन थे, और सिखों का इतिहास क्या है। सिखों के किस गुरू को मुगल शासक ने फांसी की सजा दी थी वह इस पोस्ट में पढेंगे। सिखों के 10 गुरू है, इनके नाम गुरूनानक, गुरू अंगद, अमरदास, रामदास, अर्जुन देव, हरगोविंद, हरहाय, हरकिशन, तेगबहादुर, गुरू गोविन्द सिंह हैं जिन्होंने लंगर प्रथा प्रारंभ की, अमृतसर शहर की स्थापना की, गोल्डन टेम्पल का निर्माण करवाया और पंचकार की स्थापना की थी।

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गुरूनानक

सिखों के प्रथम गुरू गुरूनानक है जो खत्री परिवार से थे। इनका जन्म 1469 ई. में पंजाब के तलवंडी में हुआ जो रावी नदी के किनारे बसा हुआ है। तलवंडी का वर्तमान नाम ननकाना है जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित हैं।

सिख धर्म की स्थापना गुरूनानक ने की थी। गुरूनानक कर्म व पुनर्जन्म को मानते थे और ईश्वर का स्वरूप निरंकार, अकाल और अलख समझते थे। गुरूनानक ने लंगर प्रथा की शुरूआत की थी

गुरूनानक ने पाँच देशों के चक्कर लगाये जिसे उदासीस कहा जाता है। गुरूनानक ने सन्यास कालीबेन नदी पर लिया तथा मृत्यु 69 वर्ष की उम्र में करतारपुर में हुआ।

गुरू अंगद

सिखों के दूसरे गुरू अंगद थे जिन्होंने गुरूनानक की वाणियों का संकलन कर आदिग्रंथ की रचना की। गुरू अंगद ने नई लिपि गुरूमुखी की शुरुआत की थी।

गुरू अमरदास

सिखों के तीसरे गुरू अमरदास थे इन्होंने भजनों का संग्रह किया था। 22 गद्दिया की स्थापना की तथा सती प्रथा व पर्दा प्रथा का विरोध किया।

गुरू रामदास

सिखों के चौथे गुरू रामदास, जो अकबर के समकालीन थे। अकबर ने रामदास को कई एकड़ जमीन दी थी जिस पर रामदास ने 1577 ई. अमृतसर शहर की स्थापना की थी।

गुरू अर्जुन देव

सिखों के पांचवें गुरू अर्जुन देव ने गुरूऔ व अन्य सन्तो के वचनो को आदिग्रंथ में संकलित करवाया।

अर्जुन देव ने अमृतसर में हरमिंदर साहिब का मंदिर बनवाया था, रणजीत सिंह ने इसी मंदिर पर स्वर्ण ( सोना ) जडवाया था जो स्वर्ण मंदिर ( Golden Temple ) के नाम से जाना जाता है।

अर्जुन देव जहाँगीर के समकालीन थे। जहाँगीर ने अर्जुन देव को फांसी की सजा दी थी

गुरू हरगोविंद

सिखों के छठे गुरू हरगोविंद थे, इन्होंने अमृतसर नगर की रक्षा के लिए किलेबन्दी करवायी। यहां पर 12 फीट ऊंचे अकाल तख्त का निर्माण करवाया था। सिखों में सैनिक भावना पैदा की।

गुरू हरराय

सिखों के सातवें गुरू हरराय थे।

गुरू हरकिशन

सिखों के आठवें गुरू हरकिशन थे।

गुरू तेगबहादुर

सिखों के नौवें गुरू तेगबहादुर थे जो औरंगजेब के समकालीन थे। औरंगजेब ने तेगबहादुर को इस्लाम धर्म स्वीकार करने को कहा परन्तु तेगबहादुर ने इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं किया, जिसके कारण औरंगजेब ने तेगबहादुर को फांसी दी।

गुरू गोविन्द सिंह

सिखों के दसवें गुरू गोविन्द सिंह जी का जन्म 1666 ई. में पटना में हुआ था। गुरू गोविन्द सिंह ने 1699 ई. में खालसा पंथ की स्थापना की थी। पंचककार ( केश, कड़ा, कंघा, कच्छा, कृपाण ) की शुरुआत की।

पाहुल प्रथा की शुरुआत की तथा इसी मत में दीक्षित व्यक्ति को खालसा कहा गया नाम के अन्त मे सिंह उपाधी दी।

गुरू गोविन्द सिंह जी ने सुरक्षा की दृष्टि से आनन्दगढ़, केशगढ़, लौहगढ़ तथा फतेहगढ़ किलो का निर्माण करवाया था, इनकी मृत्यु नान्देड ( महाराष्ट्र ) में हुई। 

सिखों के 2 गुरूओं को मुगल शासक ने फांसी की सजा दी थी 

  • गुरू अर्जुन देव को जहाँगीर ने फांसी की सजा दी थी
  • गुरू तेगबहादुर को औरंगजेब ने फांसी की सजा दी थी

10 सिख धर्म के  गुरू का नाम क्रम में –

गुरूनानक, गुरू अंगद, अमरदास, रामदास, अर्जुन देव, हरगोविंद, हरहाय, हरकिशन, तेगबहादुर, गुरू गोविन्द सिंह

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